प्याज या onion आज हमारे दैनिक उपयोग का महत्वपूर्ण अवयव हैं. विभिन्न भोजन सामग्री से लेकर औषधीय उत्पादों तक में इसका उपयोग किया जाता हैं. अपनी विशिष्ट तीखी गंध के कारण यह प्रसिद्ध हैं. इसके बारें में सुनकर यह सवाल तो उठता ही है क्या यह एक भारतीय फसल हैं? अगर नहीं तो भारत में यह आया कहाँ से ?
काफी पुराना हैं इतिहास -
मेसोपोटामिया से प्राप्त लेख के अनुसार प्याज को आज से 4000 साल पहले अफगानिस्तान , उज्बेकिस्तान और तज़ाकिस्तान के इलाके में उगाया गया. यही से प्याज विश्व भर में फैला. जहाँ यूरोप में यह कांस्य युग में तो भारत में यह मुगलों के आगमन के काफी पहले आ चूका था.
चरक, वाग्भट जैसे चिकित्सकों ने इसके ओषधिय गुणों का वर्णन किया हैं तथापि इसे सम्मान की दृष्टी से नहीं देखा गया जिसका कारन शायद इसकी तीखी गंध रही हैं.
अंग्रेजों ने भी समझा इसका महत्व -
629 से 645 ई. के समय भारत आये चीनी यात्री व्हेनसांग ने लिखा हैं की भारत में कई जगह उन्होंने देखा की प्याज खाने वालों को शहर में घुसने नहीं दिया जाता था. लम्बे समय तक अंग्रेजों को भी प्याज पसंद नहीं आया लेकिन सन 1350 में प्लेग बीमारी के समय इसके चिकित्सकीय उपयोग को देखकर इसे स्वीकार किया.
आज भी भारत में कई घरों में प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता हैं.

काफी पुराना हैं इतिहास -
मेसोपोटामिया से प्राप्त लेख के अनुसार प्याज को आज से 4000 साल पहले अफगानिस्तान , उज्बेकिस्तान और तज़ाकिस्तान के इलाके में उगाया गया. यही से प्याज विश्व भर में फैला. जहाँ यूरोप में यह कांस्य युग में तो भारत में यह मुगलों के आगमन के काफी पहले आ चूका था.
चरक, वाग्भट जैसे चिकित्सकों ने इसके ओषधिय गुणों का वर्णन किया हैं तथापि इसे सम्मान की दृष्टी से नहीं देखा गया जिसका कारन शायद इसकी तीखी गंध रही हैं.

अंग्रेजों ने भी समझा इसका महत्व -
629 से 645 ई. के समय भारत आये चीनी यात्री व्हेनसांग ने लिखा हैं की भारत में कई जगह उन्होंने देखा की प्याज खाने वालों को शहर में घुसने नहीं दिया जाता था. लम्बे समय तक अंग्रेजों को भी प्याज पसंद नहीं आया लेकिन सन 1350 में प्लेग बीमारी के समय इसके चिकित्सकीय उपयोग को देखकर इसे स्वीकार किया.

आज भी भारत में कई घरों में प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता हैं.
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