ज़िन्दगी चलने का नाम हैं, जो रुक गया उसका नाम ख़राब हैं।
दोस्तों,आप सभी ने बन्दर और टोपियों के सौदागर की कहानी तो सुनी ही होगी।( monkey and the hat seller) लेकिन यकीन मानिए जो कहानी आप लोगो ने सुनी हैं वह आधी अधूरी कहानी हैं। इस आधी कहानी के आगे की कहानी कभी सुनाई ही नहीं गयी क्योंकि इसके आगे की कहानी में आप सभी को सच का सामना करना पड़ता हैं और अधिकांश मौकों पर हम सच से दूर ही भागतें हैं।
लेकिन आज की पोस्ट के साथ आपको उस सच से भी सामना करना पड़ेगा। क्योंकि आज की पोस्ट में में आपको इस आधी कहानी को पूरा बताउँगा।
तो कहानी इस तरह हैं एक टोपियां बेचने वाला एक दिन टोपियां बेचते हुये बहुत दूर तक आ जाता हैं। रास्ते में हुए थकान के कारण उसे नींद आने लगती हैं, इसलिए वह एक पेड़ के नीचे अपनी टोपियों के गट्ठर को अपने पास रखकर छाया में सो जाता हैं। उस पेड़ से बन्दर उतरकर टोपियों के गट्ठर से सारी टोपियां ले जातें हैं। जब व्यापारी की नींद खुलती
हैं तो उसे सारी घटना का पता चलता हैं ,लेकिन बुद्धिमान व्यापारी नकलची बंदरों से काम निकलने के लिए अपनी एक टोपी सर से उतारकर सड़क पर फेक देता हैं । सारे मुर्ख बन्दर भी इसी तरह टोपियां फेक देतें हैं और व्यापारी ख़ुशी से अपनी टोपियां समेटकर चला जाता हैं।
ये तो हुई आधी कहानी अब सुनिए इसके आगे की कहानी-
होता यु हैं की उस व्यापारी का एक बेटा होता है जिसे वह अपने टोपियों के व्यापार की सारी शिक्षा देता हैं। सभी पिताओं की तरह वह भी अपने पुत्र को खुद से भी ज्यादा कामयाब देखना चाहता हैं, हालाँकि बहुत ही कम बेटे होते हैं जो अपने माँ बाप की आशाओं पर खरें उतरते हैं। खेर आगे कहानी में बढ़तें हैं वो लड़का भी अपने पिता की तरह जगह जगह टोपियां बेचता हैं , हाँ इतना फर्क जरूर हैं जहाँ उसका पिता पैदल टोपियां बेचता था वह दुपहिया वाहन पर यह काम करता हैं।
एक दिन टोपियां बेचते बेचते वह उसी जगह आ जाता हैं जहाँ कभी उसके पिताजी विश्रम के लिए रुके थे। वह भी आराम करने के लिए वही उसी पेड़ के निचे अपने वाहन को खड़ा कर आराम करने लगता हैं ठीक अपने पिता की तरह। और जैसा की हम सभी लोग मानते हैं की इतिहास अपने आप को दोहराता हैं?
पेड़ से बन्दर नीचे उतरते हैं और उस व्यापारी के बेटे की सारी टोपियां ले जातें हैं। जब उस बेटे की नींद खुलती हैं तो उसे सारा माज़रा समझ में आ जाता हैं। लेकिन तभी उस बेटे को अपने पिता द्वारा सुनाया गया वह किस्सा याद आता हैं जिसमे उनके साथ भी यही घटना हुई थी। वह भी अपने पिता की तरह अपने सर से टोपी उतारता हैं और फेक देता हैं, लेकिन यह क्या इस बार बंदरों ने अपनी टोपियां नहीं उतारी बल्कि एक बन्दर पेड़ से उतरता हैं और उस टोपी को भी उठा कर भाग जाता हैं।
वह व्यापारी का बेटा जो इस तरह का कुछ होने का अंदाज़ा नहीं लगा सकता था वह बस खड़ा खड़ा सोचता ही रहा।
दोस्तों, हम सभी को यह बात रटा दी गयी हैं की इतिहास अपने आप को दोहराता हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा कभी नहीं होता। यह संसार, यह लोग ,यह समय हर पल बदलता रहता हैं। जो इस पल हैं कह अगले पल नहीं रहेगा लेकिन हम सब इसी सोच में जीतें रहतें की काश वो पल फिर से लौट आयें लेकिन वो काश सिर्फ काश ही रह जाता हैं। जो परिस्थितियां कल थी आज वो नहीं रहेगी। आपके माता पिता और बुजुर्गों के अनुभव आपको मार्गदर्शन अवश्य देगें लेकिन सफलता को अपना सहचर बनाने के लिए आपको उन अनुभवों के साथ अपने अनुभवों, अपने अर्जित ज्ञान को भी जोड़ना होगा तभी आप वर्तमान की समझ रखने वालें कामयाब आदमी बन पाएंगे।
आप सभी समय के साथ अपने ज्ञान और विचारों को परिष्कृत करते रहें यही मेरी आज की पोस्ट का उद्देश्य था। और जातें जातें किसी विद्वान की कही प्यारी सी बात-
" मान लीजिये आज का दिन आपका आखिरी दिन है तो आप किसे फ़ोन करते और क्या कहते?"

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